कत्थक से कान्हा व मीरा को भावांजलि अर्पित करते हैं आशीष...

बनारस के एक युवक ने अपने ईष्ट को रिझाने व भक्ति का प्रचार करने के लिए अपने हुनर को माध्यम बनाया है। मूल रूप से बनारस में भूत भैरव नखास मोहल्ले के एक राजपूत परिवार से आने वाले आशीष सिंह ने अपने कत्थक नृत्य को कान्हा को समर्पित कर दिया है।
आशीष कत्थक नृत्य से ही भक्ति में सर्वोपरि मीरा की विरह पीड़ा को दर्शाते हैं, इसी के साथ उनका एक उद्देश्य कत्थक नृत्य को बढावा देना भी है। सिंह मीरा के मंदिर में प्रतिदिन ईश्वर के प्रति अपने समर्पण को नृत्य द्वारा प्रस्तुत करते हैं।
युवा आशीष का बचपन से ही नृत्य विधा की ओर गजब का आकर्षण रहा है। वह बताते हैं कि बचपन में जब भी कोई संगीत सुनाई पड़ता तो वह ठुमकने लगते थे। नृत्य में इस रुचि को देखते हुए दादी ललिता सिंह व दादी की बहन आरती सिंह ने उन्हें खूब प्रोत्साहन दिया और परिजनों ने उन्हें बनारस में ही कत्थक की शुरुआती शिक्षा दिलवाई। पिता की मृत्यु के चार साल बाद जब वह वृंदावन दर्शन को आए तो फिर वह वृंदावन के ही होकर रह गए।
वृंदावन में शुरुआती दिन उन्होंने आश्रमों में बिताए, आश्रमों में इस अवधि के दौरान उनके मन में सेवा और श्रद्धा के भाव जागृत हुए। आशीष ने आश्रम में रहने वाले शिष्यों को कत्थक सिखाना शुरु किया और तब से लगातार वह इस काम में जुटे हुए हैं।
अपने इस अभियान को एक कदम आगे बढ़ाने के लिए, हाल ही में, उन्होंने सांसद हेमा मालिनी से एक नृत्यशाला खोले जाने की अपील भी की है। बीते काफी समय से वह वृंदावन के शाह जी मंदिर के समीप मीरा बाई के प्राचीन मंदिर में सुबह और शाम को मीरा व कान्हा के विग्रह के आगे कत्थक कर अपनी भक्तिभरी भावांजलि उनके चरणों में समर्पित करते चले आ रहे हैं।
आशीष के अनुसार, बनारस घराने की कथक नृत्यांगना सरला नारायण सिंह से उन्हें बहुत प्रेरणा मिलती है। कालांतर में उन्होंने पं. बिरजू महाराज की शिष्या संगीता सिन्हा से कथक सीखा। इसके बाद, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संगीत व मंच कला संकाय से कथक में स्नातक और परास्नातक की डिग्री भी हासिल की।
आशीष देश-विदेश के मंचों पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके हैं। उन्होंने साल 2010 में पं. बिरजू महाराज के निर्देशन में कॉमनवेल्थ खेल आयोजन के दौरान व साल 2015 में चीन के ‘द सेकंड सिल्क रोड इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल’ में अपनी प्रस्तुति दी।
बॉलीवुड गायिका सोना महापात्र के साथ उनके अलबम ‘मंगल गान’ में भी आशीष ने नृत्य किया है। इसके साथ ही, देश के विभिन्न हिस्सों में संकट मोचन संगीत समारोह, गंगा महोत्सव, शिवरात्रि संगीत समारोह, महामृत्युंजय महोत्सव, कथक महोत्सव, बुद्ध महोत्सव, गीतांजलि महोत्सव, हंडिया माटी कथक महोत्सव, कुंभ मेला प्रयाग राज व अयोध्या के श्री राम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में भी उनके नृत्य को जमकर प्रशंसा मिली।
आशीष को 2002 में काशी प्रतिभा सम्मान, साल 2005 में नवोदित कलाकार सम्मान व बाल रंग मंडल का सेतु बाल प्रतिभा सम्मान तथा साल 2019 में उन्हें उत्तराखंड का प्रतिष्ठित सुर गंगा कला निधि सम्मान मिल चुका है।