ये हैं मरे हुए इंसान को ज़िंदा करने वाले योगी…


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"योगी कथामृत" परमहंस योगानंद जी की आत्मकथा है। ये किताब सिर्फ उनकी ज़िंदगी की कहानी नहीं है, बल्कि उनके साथ हुए अद्भुत अनुभवों और चमत्कारों की भी कहानी है। इसमें बताया गया है कि कैसे ध्यान, योग और ईश्वर में आस्था से इंसान अपनी आत्मा को पहचान सकता है।

योगानंद जी का जन्म 1893 में गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। बचपन से ही उनका मन पढ़ाई-लिखाई से ज़्यादा ईश्वर की खोज में लगता था। वो कई साधु-संतों से मिले और अंत में उन्हें अपने गुरु मिले स्वामी श्री युक्तेश्वर गिरि। उन्होंने योगानंद जी को क्रिया योग की दीक्षा दी और सही रास्ता दिखाया।

1920 में योगानंद जी अमेरिका गए, जहाँ उन्होंने योगदा सत्संग सोसाइटी की शुरुआत की। वहाँ उन्होंने हज़ारों लोगों को योग और ध्यान सिखाया। आज भी उनकी शिक्षाएं दुनियाभर में लोगों को प्रेरित कर रही हैं।

ज़बरदस्त चमत्कारी घटनाएं:

1. बिना टिकट वाली रेल यात्रा:

एक बार उनके गुरु ने उन्हें बिना टिकट और पैसे के ट्रेन से बनारस से सिरीह (गुरु का घर) जाने को कहा। योगानंद जी ने भरोसे के साथ सफर शुरू किया। रास्ते में अजनबी लोग खुद ही मदद करते गए – किसी ने टिकट दिया, किसी ने खाना। इससे पता चलता है कि जब आप दिल से भरोसा करते हैं, तो भगवान खुद रास्ता बना देते हैं।

2. मरे हुए इंसान को ज़िंदा करना:

एक बार योगानंद जी ने बताया कि लाहिड़ी महाशय, जो उनके गुरु के गुरु थे, उन्होंने एक मृत औरत को फिर से ज़िंदा कर दिया। ये कोई जादू नहीं था, बल्कि ध्यान और भगवान से जुड़ी शक्ति का कमाल था।

जब योगानंद जी 1920 में अमेरिका गए तो वहाँ उन्होंने योग, ध्यान और भारतीय आध्यात्मिकता का खूब प्रचार किया। उनके साथ अमेरिका में भी कई चमत्कारिक घटनाएँ घटीं, जिनमें से तीन प्रमुख नीचे दी जा रही हैं:

3. विचारों को पढ़ना: 

योगानंद जी अमेरिका में जब लोगों से मिलते थे, तो कई बार वे लोगों के मन की बात बिना बोले ही जान लेते थे। एक बार एक महिला उनके पास आई, जो उनके बारे में मन में शक रखती थी। योगानंद जी ने बिना पूछे ही उसके सारे सवालों के जवाब दे दिए। वह महिला हैरान रह गई और पूरी श्रद्धा से उनके चरणों में झुक गई।

यह घटना दिखाती है कि ध्यान से व्यक्ति अपनी चेतना को इतना तेज़ कर सकता है कि वह दूसरों के विचारों को भी पढ़ सके।

4. अचानक बीमारी से चमत्कारी रूप से ठीक होना:

एक बार अमेरिका में एक व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार था और डॉक्टर्स ने जवाब दे दिया था। योगानंद जी ने उसके लिए विशेष ध्यान और प्रार्थना की। कुछ ही समय में वह व्यक्ति चमत्कारी रूप से ठीक हो गया। उसके परिवार ने इसे ईश्वर की कृपा और योगानंद जी की शक्ति माना।

यह उदाहरण दिखाता है कि जब ध्यान, प्रार्थना और आस्था मिलती हैं, तो चमत्कार संभव होते हैं।

5. बिना छुए दूर से उपचार: 

योगानंद जी ने कई बार लोगों का इलाज उनसे हज़ारों मील दूर बैठे-बैठे किया। एक बार एक शिष्य ने पत्र में लिखा कि उसकी माँ बहुत बीमार है। योगानंद जी ने केवल ध्यान और ईश्वर से जुड़कर प्रार्थना की, और कुछ ही दिनों में वह महिला ठीक हो गई।

यह घटना सिद्ध करती है कि जब किसी के अंदर सच्ची आध्यात्मिक शक्ति होती है, तो वह दूरी और समय की सीमा को पार कर सकती है।

निष्कर्ष:

इन चमत्कारों से साफ होता है कि योगानंद जी सिर्फ एक शिक्षक नहीं, बल्कि एक जाग्रत आत्मा थे, जिनके अंदर आध्यात्मिक ऊर्जा इतनी गहरी थी कि उन्होंने अमेरिका जैसे वैज्ञानिक देश में भी चमत्कारों से लोगों का मन बदल दिया

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