बीजेपी बनाम कांग्रेस: शिक्षा क्षेत्र में काम...


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नई दिल्ली, 29 सितम्बर 2025 — देश में शिक्षा हमेशा एक बड़ा चुनावी और सामाजिक मुद्दा रहा है। कांग्रेस सरकार (2004–2014) और मोदी सरकार (2014 से अब तक) दोनों ने अपने-अपने समय में शिक्षा सुधारों पर काम किया है। आइए जानते हैं दोनों दौर की नीतियों और प्राथमिकताओं में अंतर।

मोदी सरकार की पहलें

मोदी सरकार के कार्यकाल में 2020 में नई शिक्षा नीति (NEP) लाई गई। इसमें स्कूल से लेकर कॉलेज तक पढ़ाई को अधिक लचीला और कौशल आधारित बनाया गया। छात्रों को मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प, शोध और तकनीकी शिक्षा पर जोर, तथा बहुविषयक विश्वविद्यालयों की दिशा में कदम उठाए गए।

सरकार ने मेडिकल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ाई, जिससे उच्च शिक्षा की पहुंच विस्तृत हुई। लाखों छात्रों को छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत लाभ भी मिला। हालांकि शिक्षा बजट के मामले में अब भी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 6% का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका है।

कांग्रेस सरकार का दौर

कांग्रेस शासन के दौरान माध्यमिक शिक्षा को मजबूत करने के लिए योजनाएं शुरू की गईं। सरकारी स्कूलों की संख्या बढ़ी और मिड-डे मील जैसी योजनाओं से बच्चों की उपस्थिति में सुधार आया। प्राथमिक शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया।

हालांकि उस समय उच्च शिक्षा और शोध के क्षेत्र में पर्याप्त आधुनिक सुधार नहीं हुए। तकनीकी और डिजिटल शिक्षा का विस्तार भी धीमा था।

नेताओं की पढ़ाई-लिखाई की तुलना

कांग्रेस: शशि थरूर जैसे नेता पीएचडी डिग्रीधारक हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पढ़ाई कर चुके हैं।

भाजपा: जयंत सिन्हा (आईआईटी, हार्वर्ड), डॉ. हर्षवर्धन (एमबीबीएस, मास्टर ऑफ सर्जरी) और मुरली मनोहर जोशी (भौतिकी में पीएचडी) जैसे नाम काफी पढ़े-लिखे नेताओं की सूची में आते हैं।

निष्कर्ष

कांग्रेस सरकार ने शिक्षा की बुनियाद और पहुंच पर काम किया, जबकि मोदी सरकार ने संरचनात्मक सुधार और उच्च शिक्षा पर अधिक ध्यान दिया। आज दोनों दलों में उच्च शिक्षित नेता मौजूद हैं, लेकिन जनता के लिए सबसे अहम सवाल यही है कि ये नीतियां बच्चों की पढ़ाई की गुणवत्ता, रोजगार और अनुसंधान के अवसरों को कितना बेहतर बना पाती हैं।

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