इन देवी देवताओं की भक्ति से राहु केतु शांत...


banner

इन देवी-देवताओं की भक्ति राहु और केतु को शांत कर देगी

NBP Desk, News Bharat Pratham, New Delhi, Published by Deepak Tak, Wednesday, Time 04:40 PM IST

भारतीय ज्योतिष में राहु और केतु को “छाया ग्रह” माना जाता है। ये भले ही वास्तविक ग्रह न हों, लेकिन इनके प्रभाव को बहुत गहरा समझा गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार दोनों की उत्पत्ति समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है।

राहु कौन है?
कथाओं में बताया गया है कि समुद्र मंथन के समय असुर स्वर्भानु ने देवताओं का रूप धारण कर अमृत पी लिया। भगवान विष्णु ने उसे पहचानकर सुदर्शन चक्र से उसका सिर अलग कर दिया। सिर अलग होने के बाद भी अमृत के प्रभाव से वह अमर रहा और वही “राहु” कहलाया।

केतु कौन है?
स्वर्भानु का शरीर, जो अमृत पीने के कारण नष्ट नहीं हुआ था, आगे चलकर “केतु” नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस तरह राहु और केतु एक ही असुर के अलग-अलग हिस्से हैं।

राहु दोष के प्रभाव
राहु दोष होने पर व्यक्ति को जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसमें अचानक शत्रु बढ़ना, धोखाधड़ी होना, करियर में रुकावटें आना और मानसिक अशांति जैसी स्थितियां देखने को मिलती हैं। कई बार यह दोष गलत आदतों या बुरी संगति की ओर भी ले जाता है।

केतु दोष के प्रभाव
केतु दोष से इंसान को आत्मविश्वास की कमी, पारिवारिक कलह, धन हानि और निर्णय लेने में कठिनाई जैसी परेशानियां हो सकती हैं। यह दोष व्यक्ति को असमंजस और मानसिक अस्थिरता की ओर धकेलता है।

राहु दोष का समाधान

शनिवार को राहु मंत्र का जाप करना शुभ होता है।

सरसों का तेल और काले तिल का दान करें।

देवी काली और भगवान भैरव की पूजा विशेष रूप से राहु दोष को शांत करने वाली मानी जाती है।

केतु दोष का समाधान

मंगलवार और गुरुवार को केतु मंत्र का जाप करें।

चने की दाल और कंबल का दान लाभकारी है।

भगवान गणेश और भगवान भैरव की आराधना करने से केतु दोष का प्रभाव कम होता है।

राहु दोष में किसकी पूजा करें?
राहु दोष को कम करने के लिए माँ काली और भगवान भैरव की आराधना श्रेष्ठ मानी जाती है। इनके साथ राहु मंत्र का जाप भी लाभकारी होता है।

केतु दोष में किसकी पूजा करें?
केतु दोष के निवारण के लिए भगवान गणेश और भगवान भैरव की पूजा करना शुभ फल देता है। गणपति की आराधना से जीवन में स्थिरता और संतुलन आता है।

अक्सर लोग मानते हैं कि राहु और केतु दोष केवल भैरव, गणेश या काली माता की पूजा से ही शांत होते हैं, लेकिन हनुमान जी और माता सरस्वती की उपासना भी राहु-केतु दोष के उपाय मानी जाती है।

राहु दोष और हनुमान जी

राहु का संबंध भ्रम, मानसिक अशांति और डर से है।

हनुमान जी की पूजा करने से भय दूर होता है और नकारात्मक शक्तियां शांत होती हैं।

मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करने से राहु के बुरे प्रभाव काफी कम हो जाते हैं।

सरसों के तेल का दीपक हनुमान जी के सामने जलाना भी राहु दोष शांति में सहायक है।

केतु दोष और माता सरस्वती

केतु अक्सर भ्रम, एकाग्रता की कमी और शिक्षा में रुकावट का कारण बनता है।

माता सरस्वती विद्या, ज्ञान और बुद्धि की देवी हैं। उनकी आराधना से मानसिक स्पष्टता और निर्णय क्षमता मजबूत होती है।

ऐं सरस्वत्यै नमः” मंत्र का जप केतु दोष को शांत करने में लाभकारी माना जाता है।

गुरुवार को सफेद वस्त्र पहनकर और बच्चों को पढ़ाई की सामग्री (कॉपी, पेन) दान करने से भी केतु का प्रभाव कम होता है।

निष्कर्ष

राहु दोष में → भैरव और काली माता के साथ हनुमान जी की पूजा भी बेहद प्रभावी है।

केतु दोष में → गणेश और भैरव के साथ माता सरस्वती की आराधना करना लाभकारी है।

 

राहु-केतु दोष शांति के 7 सबसे प्रभावी उपाय

1. मंत्र जाप

राहु मंत्र: रां राहवे नमः (108 बार शनिवार को)

केतु मंत्र: कें केतवे नमः (108 बार मंगलवार/गुरुवार को)

2. हनुमान जी की पूजा (राहु दोष में)

मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें।

सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

सुंदरकांड पाठ से भय और राहु का प्रभाव कम होता है।

3. माता सरस्वती की आराधना (केतु दोष में)

गुरुवार को ऐं सरस्वत्यै नमः” मंत्र का जप करें।

सफेद कपड़े पहनें और विद्यार्थियों को किताब/पेन दान करें।

4. भैरव बाबा की उपासना

राहु और केतु दोनों ही भैरव देव के अधीन माने जाते हैं।

रविवार या शनिवार को भैरव मंदिर जाकर नारियल और काले तिल चढ़ाएं।

5. दान-पुण्य

राहु दोष शांति के लिए: काले तिल, काला कपड़ा, सरसों का तेल दान करें।

केतु दोष शांति के लिए: चना दाल, कंबल, सफेद वस्त्र दान करना शुभ है।

6. देवी काली और गणेश जी की पूजा

राहु दोष में: माँ काली को लाल फूल और नीले वस्त्र अर्पित करें।

केतु दोष में: भगवान गणेश को दूर्वा घास और मोदक अर्पित करें।

7. साधना और संयम

राहु-केतु दोष में अक्सर मन भ्रमित होता है। इसलिए नियमित ध्यान (Meditation) का अभ्यास करना बहुत लाभकारी होता है।

राहु और केतु दोष जीवन में कई तरह की परेशानियां ला सकते हैं, लेकिन मंत्र जाप, देव पूजा और दान-पुण्य से इनके अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है। विशेष रूप से राहु के लिए हनुमान जी और माँ काली, तथा केतु के लिए माता सरस्वती और गणेश जी की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

Share Your Comments

Related Posts

banner

अष्टमी और नवमी में अंतर व पूजन विधि...

जानें अष्टमी-नवमी में भोग, हवन और संधि पूजन का खास महत्व 

banner

नवरात्रि का आठवां दिन: मां महागौरी की पूजा का महत्व...

नवरात्रि का अष्टम दिवस देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी को समर्पित है।

banner

छठे नवरात्रि पर माँ कात्यायनी की पूजा विधि स्तुति मंत्र...

छठे नवरात्रि पर माँ कात्यायनी की पूजा का महत्व, उनकी विशेषताएं, प्रिय फूल और फल, पूजा विधि, स्तुति और मंत्र जानें।